कानपुर ! अभिमन्यु क्षत्रिय सभा, उत्तरप्रदेश के होली मिलन समारोह में नौबस्ता स्थित परसौली में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए श्री करौली शंकर गुरुदेव ने क्षत्रिय एकता पर बल देते हुए कहा कि बिना भगवान परशुराम के आदर्शों पर चले हम क्षत्रिय धर्म का पालन बिल्कुल भी नहीं कर सकते। अभिमन्यु क्षत्रिय सभा द्वारा पूज्य गुरुदेव का भव्य स्वागत किया गया तथा गुरुदेव श्री करौली शंकर महादेव जी ने वहाँ बैठे सभी लोगो की वैदिक चिकित्सा भी की !
जिसमे बच्चों से लेकर बूढ़े तक सब शामिल हुए। श्री करौली शंकर गुरुदेव ने वहाँ बैठे सभी लोगो को संकल्प करवाया जिसमे मुख्य रूप से बच्चों का Memory Purification Programme किया गया । जिसमें बच्चों का उनके mobile के प्रति गहरी अरुचि पैदा की तथा उनकी गंदी आदतों से तत्काल छुटकारा दिलाने के साथ साथ बच्चों में पढ़ाई के प्रति उनकी गहरी रुचि पैदा की गई, अब यह बच्चे मौज मस्ती के लिए कभी भी मोबाइल नहीं छू सकेंगे, केवल पढ़ाई के उद्देश्य से ही चला सकेंगे। इसके साथ साथ उन्होंने वहाँ सभी बैठे पुरुषों से मांस मदिरा छुड़ा कर, सभी को रोग, शोक और कष्टों से तत्काल मुक्ति भी करवाई ! अब ये कभी भी मांस मदिरा नहीं खा सकेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम जी क्षत्रिय एवं ब्राह्मण दोनों की एकता के अद्भुत प्रतीक हैं, वह आज भी हमारे बीच हैं क्योंकि वह चिरंजीवी हैं, यदि परशुराम जी ब्राह्मणवादी होते तो महा-पराक्रमी, ब्राह्मण शिरोमणि रावण के स्थान पर, एक महान क्षत्रिय राजा जनक को अपना प्रिय धनुष भेंट ना करते, जिसे बाद में सीता स्वयंवर में भगवान श्रीराम ने तोड़ा था। अपने पिता सप्तर्षि जमदग्नि की हत्या
की बदले की स्मृतियों के कारण किस तरह भगवान परशुराम जैसे महानायक को सभी ने खलनायक बना दिया ! इन नकारात्मक बदले की स्मृतियों के वशीभूत होकर ही उन्होंने 21 बार हैहय वंशी दुष्ट क्षत्रियों का संहार किया! पवन पुत्र श्री हनुमान जी से युद्ध के उपरांत, अपने पितरों की स्मृतियों से मुक्ति पाकर जब उन्हें अपने द्वारा किए गए 21 बार के नरसंहार किए जाने की सूचना दी गई तो वह व्यथित हो उठे, पश्चाताप स्वरुप उन्होंने अपने तप के बल पर सभी मृतकों के श्राद्ध किए तथा उन्हें मुक्ति प्रदान की! अज्ञानियों ने भगवान परशुराम द्वारा पृथ्वी से समस्त क्षत्रियों के नरसंहार की बात कह कर दुष्प्रचार किया !
श्री करौली शंकर महादेव ने कहा कि हम सभी मिलकर भी भगवान परशुराम को क्षत्रियों से अलग नहीं कर सकते क्योंकि भगवान परशुराम की मां रेणुका और सगी दादी सत्यवती दोनों ही क्षत्रिय थीं ! ब्रह्मर्षि विश्वामित्र स्वयं सप्तर्षि जमदग्नि के सगे मामा थे! भगवान परशुराम ने शास्त्रों की शिक्षा अपने पिताश्री सप्तर्षी जमदग्नि तथा अपने दादाश्री ऋषि ऋचीक से पाई तथा शस्त्र चलाने की विद्या भगवान शंकर और अपने दादाश्री सप्तर्षि विश्वामित्र से पाई ! ऐसा एक भी चरित्र का व्यक्ति वेद पुराण शास्त्रों में उल्लेखित नहीं है जो सतयुग, त्रेता और द्वापर में सशरीर सदैव उपस्थित रहा हो और आज भी चिरंजीवी के रूप में हमारे बीच में अमर हैं! ऐसे महान तपस्वी से मनुष्य तो क्या एक चींटी की हत्या किए जाने की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती ! 21 बार किए गए संहार उन्होंने अपने पिता ऋषि जमदग्नि की स्वयं की मृत्यु के समय की, बदला लेने की स्मृतियों के अधीन होकर की ! दरबार के देखे उन्होंने एक भी हत्या अपने होशोहवाश में नहीं की! ज्ञान होने पर उन्होंने इसका पश्चाताप भी किया !
अभिमन्यु क्षत्रिय सभा के कार्यालय निर्माण हेतु श्री करौली शंकर गुरुदेव ने 11 लाख रुपए तथा कार्यालय में ही में भगवान परशुराम की भव्य प्रतिमा स्थापित कर मंदिर बनाने के लिए अलग से 5 लाख रुपए का योगदान देने की घोषणा भी की | भगवान परशुराम का मंदिर अभिमन्यु क्षत्रिय कार्यालय के साथ ही बनेगा जो कि ब्राह्मण – क्षत्रिय एकता का सबसे बड़ा प्रतीक बनेगा ! इससे क्षत्रियों की नई पीढ़ी को सही जानकारी मिलेगी कि भगवान परशुराम से बड़ा क्षत्रिय और ब्राह्मण की एकता का प्रतीक संसार मे दूसरा कोई नहीं है ! होली मिलन समारोह में पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया, डॉक्टर देवराज, अभिमन्यु क्षत्रिय सभा अध्यक्ष पंकज तोमर, महामंत्री नरेंद्र सिंह सेंगर, मनोजानंद (उर्फ गोल्डन बाबा), शंकर सेना प्रदेश अध्यक्ष सुबोध चोपड़ा, जिला अध्यक्ष विशाल बाजपेई, आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे !