कोरबा विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 225162 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 70119 ने कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह अग्रवाल (जयसिंह भैय्या) को वोट देकर जिताया था, जबकि 58313 वोट पा सके बीजेपी प्रत्याशी विकास महतो 11806 वोटों से चुनाव हार गए थे.
आज से 22 साल पहले मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) राज्य के उत्तर क्षेत्र में मौजूद है कोरबा जिला, जहां बसा है कोरबा विधानसभा क्षेत्र, जो अनारक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 225162 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह अग्रवाल (जयसिंह भैय्या) को 70119 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार विकास महतो
को 58313 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 11806 वोटों से चुनाव हार गए थे.
इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कोरबा विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह अग्रवाल (जयसिंह भैय्या) ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 72386 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार जोगेश लांबा को 57937 वोट मिल पाए थे, और वह 14449 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.
इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में कोरबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह भैय्या को कुल 48277 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी बनवारी लाल अग्रवाल (बनवारी भैया) दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 47690 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 587 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.
ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव 2018, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद पर बैठे थे. इन्हीं नतीजों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह की 15 साल तक चली सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया था, क्योंकि इस चुनाव में BJP महज़ 15 सीटें अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता कैसे बदली, इसे समझने के लिए वर्ष 2013 के चुनाव नतीजों पर भी नज़र डालनी होगी. उस समय BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम रहा था. अब भूपेश बघेल सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, जबकि BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.