धर्मजयगढ़ विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 197259 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 95173 ने कांग्रेस उम्मीदवार लालजीत सिंह राठिया को वोट देकर जिताया था, जबकि 54838 वोट पा सके बीजेपी प्रत्याशी लीनव बिरजू राठिया 40335 वोटों से चुनाव हार गए थे.
आज से 22 साल पहले मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) राज्य के उत्तर क्षेत्र में मौजूद है रायगढ़ जिला, जहां बसा है धर्मजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 197259 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार लालजीत सिंह राठिया को 95173 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार लीनव बिरजू राठिया को 54838 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 40335 वोटों से चुनाव हार गए थे.
इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में धर्मजयगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार लालजीत सिंह राठिया ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 79276 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ओम प्रकाश राठिया को 59288 वोट मिल पाए थे, और वह 19988 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.
इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में धर्मजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार ओम प्रकाश राठिया को कुल 52435 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी चनेश राम राठिया दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 49068 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 3367 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.
ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव 2018, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद पर बैठे थे. इन्हीं नतीजों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह की 15 साल तक चली सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया था, क्योंकि इस चुनाव में BJP महज़ 15 सीटें अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता कैसे बदली, इसे समझने के लिए वर्ष 2013 के चुनाव नतीजों पर भी नज़र डालनी होगी. उस समय BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम रहा था. अब भूपेश बघेल सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, जबकि BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.