Bastar Dussehra 2023: 600 साल पुराना बस्तर दशहरा पूरे विश्व में है प्रसिद्ध, 75 दिनों तक मनाई जाने वाली इस एतिहासिक परंपरा का जानें महत्व…
Chhattisgarh Bastar Dussehra 2023: बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में मनाए जाने वाले दशहरा पर्व में कई रस्में होती हैं और 13 दिन तक दंतेश्वरी माता समेत अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती है। 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा की शुरुआत हरेली अमावस्या से होती है, जिसमें सभी वर्ग, समुदाय और जाति-जनजातियों के लोग हिस्सा लेते हैं। इस पर्व में राम-रावण युद्ध की नहीं बल्कि बस्तर की मां दंतेश्वरी माता के प्रति अपार श्रद्धा झलकती है। पर्व की शुरुआत हरेली अमावस्या को माचकोट जंगल से लाई गई लकड़ी (ठुरलू खोटला) पर पाटजात्रा रस्म पूरी करने के साथ होती है।
इस दशहरा में लगभग 150 लोग होते हैं शामिल
मां भारती की सेवा में पुत्र शस्त्र उठाकर सीमा पर तैनात है, तो उसकी सुरक्षा की कामना लिए एक पिता पिछले आठ वर्ष से मां दंतेश्वरी की सेवा में अस्त्र लिए रथ निर्माण करते आ रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत से ही रथ निर्माण का कार्य बेड़ाउमरगांव व झारउमरगांव के ग्रामीण करते आ रहे हैं। इसमें लगभग 150 लोग शामिल होते हैं।
झारउमरगांव के बलदेव बघेल भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, पर इसमें परिवार की परंपरा निर्वहन के साथ पुत्र के लिए स्नेह का भाव भी है। पिता बिस्सु के बाद रथ निर्माण में सेवा देने वाले बलदेव बताते हैं कि बड़ा बेटा गजेंद्र आठ वर्ष पहले सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुआ। वह जम्मू-कश्मीर में तैनात है, जहां आंतकवादियों से देश की रक्षा में डटा है। तब से वे प्रतिवर्ष मां दंतेश्वरी की सेवा करते आ रहे हैं। यहां वे करीब 25 दिन तक रहेंगे और परंपरागत अस्त्र से रथ का निर्माण करेंगे।
गांव के लोग करते आ रहे हैं बस्तर दशहरे में रथ का निर्माण
बलदेव ने बताया कि करीब 600 वर्ष से अधिक समय से उनके गांव व परिवार के लोग बस्तर दशहरे में रथ का निर्माण मां दंतेश्वरी की सेवा की भावना से यह कार्य करते आ रहे हैं। अब नई पीढ़ी के लोग भी इसमें जुड़कर पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इस बार रथ निर्माण के लिए गांव के स्नातक कर चुके युवा भी आए हुए है।
रथ निर्माण परंपरागत अस्त्र से किया जाता है, जिसमें लंबा समय लगता है। करीब एक माह तक सब काम छोड़कर यहां सेवा देनी पड़ती है। इसलिए गांव के कुछ लोग इसमें अब सहभागिता निभाने नहीं आते। परंपरा को बनाए रखने अब गांव के जो परिवार इसमें सम्मिलित नहीं होते, उनसे अर्थदंड लेने की प्रथा पिछले कुछ वर्ष से शुरु हुई है। दस रुपये से शुरू हुई इस प्रथा में अब पांच सौ रुपये अर्थदंड का प्रावधान है।
इस बार 107 दिन का पर्व
Chhattisgarh Bastar Dussehra 2023: बस्तर दशहरा विश्व में सबसे लंबे समय तक मनाया जाने वाला पर्व है। 75 दिन तक मनाया जाने वाला यह पर्व इस बार 107 दिन तक मनाया जाएगा। इस वर्ष 17 जुलाई को पाठ जात्रा रस्म से शुरुआत हुई। 27 सितंबर को डेरी गड़ाई रस्म के साथ रथ निर्माण शुरु हुआ।
14 अक्टूबर को काछनगादी रस्म के साथ काछनगुड़ी देवी से आशीर्वाद लेकर बस्तर दशहरे का शुभारंभ हाेगा। दशहरे तक प्रतिदिन चार चक्के वाला फूल रथ चलाया जाएगा। दशहरे पर भीतर रैनी के दिन दंतेश्वरी मंदिर से कुम्हड़ाकोट तक विजय रथ परिक्रमा होगी। इसके अगले दिन बाहर रैनी पर कुम्हड़ाकोट से दंतेश्वरी मंदिर तक रथ परिक्रमा होगी। 31 अक्टूबर को बस्तर की देवी मावली माता की विदाई के साथ बस्तर दशहरा पर्व का समापन होगा।