पाली-तानाखर विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 211299 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 66971 ने कांग्रेस उम्मीदवार मोहित राम को वोट देकर जिताया था, जबकि 57315 वोट पा सके जीजीपी प्रत्याशी हीरा सिंह मरकाम 9656 वोटों से चुनाव हार गए थे.
आज से 22 साल पहले मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) राज्य के उत्तर क्षेत्र में मौजूद है कोरबा जिला, जहां बसा है पाली-तानाखर विधानसभा क्षेत्र, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 211299 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मोहित राम को 66971 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि जीजीपी उम्मीदवार हीरा सिंह मरकाम को 57315 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 9656 वोटों से चुनाव हार गए थे.
इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पाली-तानाखर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार उइके रामदयाल ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 69450 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर जीजीपी उम्मीदवार हीरा सिंह मरकाम को 40637 वोट मिल पाए थे, और वह 28813 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.
इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में पाली-तानाखर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार रामदयाल उइके को कुल 56676 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि जीजीपी प्रत्याशी हीरा सिंह मरकाम दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 27233 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 29443 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.
ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव 2018, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद पर बैठे थे. इन्हीं नतीजों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह की 15 साल तक चली सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया था, क्योंकि इस चुनाव में BJP महज़ 15 सीटें अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता कैसे बदली, इसे समझने के लिए वर्ष 2013 के चुनाव नतीजों पर भी नज़र डालनी होगी. उस समय BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम रहा था. अब भूपेश बघेल सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, जबकि BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.