सनातन से ही मानव जीवन का कल्याण संभव : करौली शंकर महादेव
देश-विदेश से आये 3 हजार साधकों को हवन, साधना के उपरान्त दी जायेगी मंत्र दीक्षा
सनातन से ही मानव जीवन का कल्याण संभव है। सनातन संस्कृति, मंत्र शक्ति व ध्यान से जटिल रोगों का निदान संभव है। यह विचार उत्तर भारत की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री करौली शंकर महादेव धाम, भारत माता पुरम, भूपतवाला, हरिद्वार के परमाध्यक्ष करौली शंकर महादेव जी महाराज ने त्रिदिवसीय महा सम्मेलन, ध्यान साधना शिविर एवं दीक्षा समारोह के शुभारम्भ के अवसर पर व्यक्त किये।
करौली शंकर महादेव जी महाराज ने कहा कि देश-विदेश से आये लगभग 3 हजार साधकों को हवन, साधना की शुद्धि के उपरान्त मंत्र दीक्षा दी जायेगी। इस महासम्मेलन में हजारों साधक दीक्षा लेकर श्री राधारमन शिष्य सम्प्रदाय के हिस्सा बन रहे हैं। विश्व में इस प्रकार की ऐसी दीक्षा किसी और संत द्वारा नहीं दी जाती है जैसी करौली शंकर महादेव धाम द्वारा पंच महाभूत शुद्धि करके अपने शिष्यों को मन से पवित्र कर उनके अन्दर के नकारात्मक विचारों को समाप्त कर आत्मिक ऊर्जा का संचार कराया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम देशभर में वर्ष में 4 बार पूर्णिमा दिवस पर आयोजित होते हैं। उत्तराखण्ड की पावन भूमि पर गंगा जी के पावन तट पर आयोजित महासम्मेलन में देश-विदेश के अनुयायियों ने दीक्षा ग्रहण की हैं।
उन्होंने श्रद्धालु भक्तों से कहा कि हमें जीवन में सबसे पहले शारीरिक, मानसिक, आत्मिक शुद्धि करनी चाहिए तभी हम जीवन का कल्याण कर सकते हैं। यदि हमारा जीवन विकृतियों से भरा होगा तो हम देश व समाज का कल्याण नहीं कर सकते हैं। उन्हांेने बताया कि सत्संग के दौरान स्मृति चिकित्सा, वैदिक चिकित्सा द्वारा जीवन की चिंताओं को मुक्त किया जाता है। उन्होंने कहा कि वैदिक सनातन द्वारा तंत्र और मंत्र से लोगों का कल्याण किया जाता है। सनातन ही सत्य है, बाकी सब छलावा है। कुछ लोग तंत्र का स्वरूप बिगाड़ कर अपना तो भला कर रहे हैं लेकिन सनातन के स्वरूप को बिगाड़ने का का कार्य कर रहे हैं जबकि वैदिक सनातन में तंत्र और मंत्र से बिना किसी को स्पर्श किये पीड़ित व्यक्तियों की पीड़ा को दूर किया जा सकता है। उन्हांेने कहा कि उनका परम उद्देश्य देश, समाज और लोक कल्याण है। स्मृति चिकित्सा द्वारा जीवन में पितृ दोष, कालसर्प दोष समाप्त किया जाता है।
इस अवसर पर डॉ. उमेश सचान, अनिरूद्ध शर्मा, आशु, राहुल भामरा, दिग्गज राजपूत ने महासम्मेलन के आयोजन में अपना सहयोग प्रदान किया।